Facts About Shiv chaisa Revealed
Facts About Shiv chaisa Revealed
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मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
शिव भजन
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, more info उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
पाठ करे सो Shiv chaisa पावन हारी ॥ पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥